हे भगवान कभी था बड़ी कंपनी मैं मैनेजर आज कोरोना के कारण बेच रहा सब्ज़ी rohtak news
हे भगवान ये कैसी मुसीबत: कभी कंपनी में मैनेजर था ये शख्स, 80 लोग अंडर में करते काम..अब बेच रहा सब्जी
रोहतक (हरियाणा). कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन का असर समाज के हर वर्ग पर पड़ा है। कई लोगों का काम धंधा बंद पड़ गया तो कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने छटनी के नाम लाखों लोगों को नौकरी से निकाल दिया। ऐसी एक दर्दभरी कहानी हरियाणा से सामने आई है। जहां एक कंपनी में मैनेजर के पद पर नौकरी करने वाले शख्स की जब जॉब चल गई, तो उसके सामने परिवार का पेट पालने की मुसीबत खड़ी हो गई। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और सब्जी बेचने निकल पड़ा।
रोहतक के रहने वाले रिंकू सैनी दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर पद पर नौकरी करते थे, जिसमें उनको अच्छी-खासी सैलरी भी मिलती थी। रिंकू के अंडर में करीब 70 से 80 लोग काम करते थे, वह इन सबका बॉस हुआ करता था। लेकिन इस कोरोना ने उससे सबकुछ छीन लिया और दो वक्त की रोटी के लिए सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया।
बता दें कि रिंकू जिस कंपनी में मैनेजर थे उनका छोटा भाई और पिता भी वहीं साथ काम करते थे। लेकिन कोरोना संकट के दौरान तीनों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी, क्योंकि कंपनी बंद हो गई थी। अब ऐसे में तीनों के सामने यह संकट खड़ा हो गया कि वह परिवार को कैसे पाले। घर में अब ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जिसकी कहीं नौकरी करता हो।
जब परिवार के भूखे मरने की नौबत आ गई तो मैनेजर रिंक ने सब्जी बेचने की ठानी, क्योंकि उनके पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। रिंकू ने इसके लिए अपनी बाइक पर जुगाड़ से ठेला बनवाया और सब्जी बेचने के लिए गली-गली जाने लगे। उन्होंने अपने पिता और भाई को भी इसी काम में सहयोग करने के लिए लगा दिया।मीडिया से बात करते हुए रिंकू ने कहा-शुरू शुरू में यह काम छोटा लगता था, सोचता था अगर में ठेले पर सब्जी बेचने के लिए जाऊंगा तो लोग क्या सोचेंगे। लेकिन एक दिन मैंने सोचा ऐसे भूखे मरने से तो अच्छा है कि सब्जी ही बेच लो। जब ठेला लेकर निकला तो एक दो दिन आस पास के लोगों ने मुझसे सवाल किया कि आपको यह काम अच्छा नहीं लगा छोड़ दो। तुम पढ़े लिखे हो एक अच्छी खासी कंपनी में मैनेजर हैं तुम यह काम करोगे। लेकिन मैंने को शर्म नहीं की और सब्जी बेचने लगा।रिंकू ने कहा जब हालात सही हो जाएंगे और मेरी कंपनी खुल जाएगी और मुझको नौकरी देगी तो में फिर वहां चला जाऊंगा। नहीं तो सब्जी बेचना भी कोई बुरा काम नहीं है, काम कोई अच्छा बुरा नहीं होता। अब इसी से मेरे परिवार का सही ढंग से गुजारा चल रहा है।
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